Τό ἑλληνικό κείμενο προέρχεται ἀπό τόν Όρθόδοξο Τύπο ἀρ. φύλ. 1865 4 Φεβρουαρίου 2011 καί ἡ μετάφρασή του στά ἀραβικά ἔγινε ἀπό τόν π. Ἀθανάσιο Χενεῖν.
β) “Δύο φύσεις τῇ θεωρίᾳ μόνη”
Ὁ Ἅγιος Κύριλλος χρησιμοποιοῦσε τὴν φράση αὐτὴ ἐναντίον τοῦ Νεστορίου, ποὺ ὑπεστήριζε τὴν πραγματικὴ διαίρεση τῶν δύο φύσεων. Οἱ Πατέρες τῆς Ἐκκλησίας ἑρμήνευσαν αὐτὴν τὴν φράση μὲ τὴν ἔννοια ὅτι στὸν Χριστὸ ἑνώθηκαν οἱ δύο φύσεις “ἀσυγχύτως, ἀτρέπτως, ἀδιαιρέτως, ἀχωρίστως”, ἀλλὰ καὶ τῶν δύο φύσεων θείας καὶ ἀνθρωπίνης ὑπόσταση εἶναι ὁ Λόγος, δηλαδὴ χρησιμοποιήθηκε, γιὰ νὰ ἀποκλεισθῆ ἡ διαίρεση τῶν δύο φύσεων στὸν Χριστό.
Ὁπότε μετὰ τὴν ἕνωση τῶν δύο φύσεων δὲν μποροῦν νὰ ὑφίστανται αὐτὲς οἱ φύσεις στὸν Χριστὸ ὡς ἰδιοϋπόστατες καὶ χωρισμένες φύσεις, δηλαδὴ δὲν ὑφίστανται χωριστὰ ὡς ἰδιαίτερες ὑποστάσεις. Ἄλλωστε καὶ ἡ προσληφθεῖσα ἀνθρώπινη φύση δὲν ἦταν πρὶν τὴν πρόσληψη αὐθυπόστατη.
Ἔτσι οἱ δύο φύσεις στὸν Χριστό, μετὰ τὴν ὑποστατικὴ ἕνωση, δὲν ὑπάρχουν ὡς ξεχωριστές, ἀνεξάρτητες μεταξύ τους καὶ αὐθυπόσταστες, ἀφοῦ καὶ τῶν δύο φύσεων ὑπόσταση ἔγινε ὁ Λόγος, καὶ μὲ αὐτὸ τὸ σκεπτικὸ γίνεται λόγος γιὰ δύο φύσεις “τῇ θεωρίᾳ μόνη”.
Οἱ Μονοφυσίτες ὅμως τὴν φράση αὐτὴ τὴν ἐννοοῦν μὲ τὴν ἄποψη ὅτι μετὰ τὴν ἕνωση τῶν δύο φύσεων δὲν μποροῦμε νὰ μιλοῦμε γιὰ δύο φύσεις, ἀφοῦ ἀπετέλεσαν μία φύση, γιʼ αὐτὸ μὲ τὴν φράση “τῇ θεωρίᾳ μόνη” πρέπει νὰ θεωρῆται ὅτι δὲν ὑφίσταται ἡ ἀνθρώπινη φύση μετὰ τὴν ἕνωση τῶν δύο φύσεων στὸν Χριστό, ἀλλὰ μόνον θεωρητικῶς καὶ κατ᾽ ἐπίνοιαν μποροῦμε νὰ μιλοῦμε γιὰ δύο φύσεις μὲ ἰδιαίτερες ἐνέργειες.
Ἑπομένως οἱ Πατέρες τῆς Ἐκκλησίας χρησιμοποιοῦν τὴν φράση “δύο φύσεις τῇ θεωρίᾳ μόνη” μὲ τὴν ἔννοια ὅτι οἱ δύο φύσεις στὸν Χριστὸ δὲν διακρίνονται ἀνεξάρτητες μεταξύ τους, λόγω τῆς ὑποστατικῆς ἑνώσεως, οὔτε εἶναι ἰδιαίτερες ὑποστάσεις, ἐνῶ οἱ Μονοφυσίτες τὴν φράση αὐτὴν τὴν χρησιμοποιοῦν μὲ τὴν ἔννοια ὅτι δὲν ὑφίσταται ἡ ἀνθρώπινη φύση στὸν Χριστό, μετὰ τὴν ἕνωση.
γ) “Σύνθετος φύσις”, “σύνθετος ὑπόστασις”
Ἡ τρίτη φράση στὴν ὁποία φαίνεται ἡ διαφορὰ στὴν Χριστολογία μεταξὺ τῶν Ὀρθοδόξων καὶ τῶν Μονοφυσιτῶν εἶναι οἱ ἐκφράσεις “σύνθετος φύσις” καὶ “σύνθετος ὑπόστασις”. Κατὰ τὴν ἑρμηνεία τῶν Ἁγίων Πατέρων μποροῦμε νὰ μιλοῦμε, ἀναφερόμενοι στὸν Χριστό, γιὰ “σύνθετον ὑπόστασιν”, ὅτι δηλαδὴ ἡ ὑπόσταση τοῦ Λόγου εἶναι ἡ ὑπόσταση καὶ τῶν δύο φύσεων,ἤτοι τῆς θείας καὶ τῆς ἀνθρωπίνης φύσεως.
Αὐτὸ σημαίνει ὅτι διατηροῦν ται τὰ ἰδιώματα τῶν δύο φύσεων, ἀλλὰ καὶ οἱ δύο φύσεις ἐνεργοῦν στὴν ἑνιαία ὑπόσταση τοῦ Λόγου, “μετὰ τῆς θατέρου κοινωνίας”. Ἔτσι οἱ δύο φύσεις (θεία καὶ ἀνθρώπινη) εἶναι ἑνωμένες μεταξύ τους στὴν μία σύνθετη ὑπόσταση.
Οἱ μονοφυσίτες δὲν παραδέχονται τὸν ὅρο “σύνθετος ὑπόστασις” καὶ κάνουν λόγο γιὰ “σύνθετον φύσιν”, ὅτι δηλαδὴ μετὰ τὴν ἕνωση τῶν δύο φύσεων ἀποτελέσθηκε μία φύση. Αὐτὸ δὲν μπορεῖ νὰ γίνη παραδεκτὸ ἀπὸ ὀρθοδόξου πλευρᾶς, γιατί ὅπως ὑποστήριξαν οἱ Πατέρες τῆς Ἐκκλησίας, ἰδίως ὁ Ἅγιος Ἰωάννης ὁ Δαμασκηνός, ὁ ὅρος σύνθετος φύση σημαίνει ὅτι χάνουν τὰ ἰδιώματα οἱ δύο φύσεις, ποὺ ἑνώνονται, γιατί ἀποτελοῦν μία τρίτη ἑνιαία φύση, ὁπότε ὁ Χριστὸς δὲν θὰ ἦταν οὔτε ὁμοούσιος μὲ τὸν Πατέρα, οὔτε ὁμοούσιος μὲ τὴν Μητέρα.
Γιὰ παράδειγμα, ἐὰν ἑνώσουμε μερικὰ εἴδη, ἤτοι τὸ νερό, τὸ ἁλάτι, τὸ λάδι κ.λπ. γίνεται μιὰ καινούρια φύση. Γι᾽ αὐτὸ “ἀδύνατον ἐστιν ἐκ δύο φύσεων μίαν φύσιν σύνθετον γενέσθαι”.
δ) “Ἐκ δύο φύσεων”, “ἐν δύο φύσεσιν”
Οἱ Μονοφυσίτες δὲν μποροῦν νὰ ἀποδεχθοῦν αὐτὴν τὴν ὀρθόδοξη διδασκαλία καὶ πιστεύουν ὅτι καίτοι ὁ Χριστὸς ἀποτελέσθηκε ἀπὸ δύο φύσεις –θεία καὶ ἀνθρώπινη– ἐν τού τοις μετὰ τὴν ἕνωση ὑπάρχει μία φύση στὸν Χριστό.
Αὐτὸ ἀνατρέπει ὁλόκληρο τὸ Χριστολογικὸ δόγμα. Ἡ ἄποψη μερικῶν Μονοφυσιτῶν ὅτι, παρὰ τὴν ἑνιαία φύση, δὲν ἀναιρεῖται ἡ ἀνθρώπινη φύση μετὰ τὴν ἕνωση, δὲν μπορεῖ νὰ γίνη ἀποδεκτή, διότι ὁδηγεῖ κατ᾽ εὐθεῖαν στὸν Νεστοριανισμό.
Σ᾽ αὐτὲς τὶς βασικὲς τέσσερεις φράσεις φαίνεται ἡ διαφορὰ τῆς Χριστολογίας μεταξὺ Ὀρθόδοξης Ἐκκλησίας καὶ Μονοφυσιτῶν. Ἐπει δὴ οἱ Μονοφυσίτες δὲν μποροῦν νὰ παρακάμψουν τὶς ἑρμηνεῖες στὶς φράσεις αὐτὲς –κλειδιὰ– γιʼ αὐτὸ καὶ δὲν ἐπιτυγχάνεται ἡ ἕνωση μεταξὺ τῆς Ὀρθοδόξου Ἐκκλησίας καὶ Μονοφυσιτῶν καὶ γιʼ αὐτὸ δὲν μποροῦμε νὰ κάνουμε λόγο γιὰ τὸ ὅτι συμφώνησαν οἱ Ὀρθόδοξοι μὲ τοὺς Μονοφυσίτες, κατὰ τὸν διάλογο, πάνω στὸ Χριστολογικὸ δόγμα.
2 –نظرية الطبيعتان فى الفكر فقط
Δύο φύσεις έν τή θεωρία μόνη
يتعلق الفارق الثانى بين الارثوذكس والمونوفيزيتيين بقضية الجملة التى قالها القديس كيرلس بان الاتحاد بين الطبيعتين فى المسيح قد تم فقط على مستوى الثيؤريا اى انه فى المسيح يوجد طبيعتان على مستوى الفكر التنظيرى فقط. نعود ونؤكد ان القديس كيرلس قد استخدم هذه العبارة ضد نسطور والذى اى نسطور كان يؤكد على واقعية تمايز الطبيعتين بدون انفصال.ان اباء الكنيسة يفسرون هذه العبارة على اساس انه فى المسيح قد اتحدت الطبيعتان بدون اختلاط ولا امتزاج ولااختلاط ولا تغيير.لكن اقنوم الطبيعتين الالهية والانسانية هو اللوغوس اى انه استخدمها ليقاوم الفصل بين الطبيعتين ولهذا فبعد الاتحاد لا يمكن ان تكون الطبائع اقانيم منفصلة .لأن الطبيعة البشرية لم تكن بدون اقنوم بعد الاتحاد.لهذا فالطبيعتان بعد الاتحاد لا توجدان منفصلتان لان اقنومهم الواحد هو الكلمة وبهذا المعنى تم الكلام عن طبيعتين فى الفكر فقط . الفكر المونوفيزيتى اخذ هذه العبارة ليعنى بها انه بعد الاتحاد لا يمكن الحديث عن طبيعتين بشكل واقعى وأسأوا فهم كلمة (ثيؤريا) لانهما كونا طبيعة واحدة ولهذا فعبارة فى الذهن فقط تعنى ان الطبيعة البشرية ليس لها وجود بعد الاتحاد الا نظريا أى فى الثيؤريا فقط والثيؤريا عند الاباء تعنى الرؤية والبصيرة الروحية التى هى واقعية جدا ولا تشرح بالعقل فقط بل بالحدس الروحى المستنير ولا تعنى ابدا الكلمة الانجليزيةtheory.
الاباء فهموا اذن من هذه العبارة ان الطبيعتين لا يمكن ان يتمايزوا فيما بينهم بسبب الاتحاد الاقنومى ولا يوجد اقنومان بينما يرى المونوفيزيتيون ان هذه العبارة تعنى انه لا وجود ولا كيان للطبيعة البشرية بعد الاتحاد.
3 –الطبيعة المركبة والاقنوم المركب
Σύνθετος φύσις ,σύνθετος ύπόστασις
ٍ
الامر الثالث الذى يتعلق بالخلاف بين الارثوذكس والمونوفيزيتيين هى العبارات (طبيعة مركبة )و(أقنوم مركب ). حسب تفسير الاباء نستطيع ان نتكلم عن انه فى المسيح يوجد (اقنوم مركب)اى ان اقنوم الالكلمة هو اقنوم الطبيعتين اى الالهية والانسانية هذا معناه الحفاظ على خصائص الطبيعتينΙδιώματα وان الطبيعتين يعملان ένεργούνمن داخل الاقنوم الواحد للكلمة .
لا يقبل المونوفيزيتيون عبارة الاقنوم المركب ويتكلمون عن طبيعة مركبة اى انه من اتحاد الطبيعتين نتجت طبيعة واحدة , لا يمكن ان يقبل الارثوذكس هذا الكلام لانه حسب الاباء والقديس الدمشقى فان عبارة الطبيعة المركبة تعنى ان الطبيعتين تفقدان خواصهم لان الطبيعتين فى اتحادهم يشكلون بهذا الشكل طبيعة ثالثة وهكذا لا يكون المسيح مساويا للاب فى الجوهر اللاهوتى ولا مساوى للام العذراء أى للبشرية فى الجوهر الناسوتى
¨οποτε ό Χριστός δέν θά ήταν ούτε όμοούσιος μέ τόν Πατέρα ,ούτε όμοούσιος μέ τήν Μητέρα
ونقدم مثال اتحاد عنصرين من الطبيعة مثل الماء والزيت ويصير منها طبيعة جديدة ثالثة ولهذا فلا يمكن ان تتكون طبيعة واحدة من طبيتعين .
4 –من طبيعتين او فى فى طبيعتين
Εκ δύο φύσεων ,.εν δύο φύσεσιν
الفارق الرابع بين الارثوذكسي والمونوفيزيتيين فى قضية الخرستولوجيا هى العبارتين (من طبيعتين) او (فى طبيعتين).لقد اكد اباء الكنيسة بالاجماع على انه فى المسيح يوجد طبيعتان اتحدتا فى شخص الكلمة وان الاتحادقد تم من طبيعتين ولكن المسيح فى نفس الوقت يعمل فى طبيعتين وذلك لان كل طبيعة وخواصها لا تلغى بعد الاتحاد وان كل طبيعة تعمل فى اتحاد فى اقنوم الكلمة وفى شركة .لا يقبل المونوفيزيتيون هذا التعليم الارثوذكسى ويصرون على ان الطبيعتين اتحدتا فى المسيح فى طبيعة واحدة. هذا الكلام يغير تماما العقيدة الخرستولوجية ويرى بعض المونوفيزيتين بانه بالرغم من القول بطبيعة واحدة لا يلغون الطبيعة البشرية وهذا غير مقبول لانه يقود الى النسطورية وهذا يودى الى عدم نجاح الحوار ولا نستطيع الكلام عن اتفاق بين الارثوذكس والمونوفيزيتيين فى الحوار اللاهوتى . يجب ملاحظة ان الأمر يرتبط بحرف جر قد يظن البعض أنه لا قيمة له فى اللاهوت ولكننا نقول ان الأمر خطير جدا ولدينا دلائل من تاريخ الكنيسة على أن الهراطقة قد استخدموا اللعب بحروف الجر لكى يغيروا عقائد الارثوذكسية مثلما حدث مع القديس باسيليوس ومحاربى لاهوت الروح القدس من الأفنوميين.
Δύο φύσεις έν τή θεωρία μόνη
يتعلق الفارق الثانى بين الارثوذكس والمونوفيزيتيين بقضية الجملة التى قالها القديس كيرلس بان الاتحاد بين الطبيعتين فى المسيح قد تم فقط على مستوى الثيؤريا اى انه فى المسيح يوجد طبيعتان على مستوى الفكر التنظيرى فقط. نعود ونؤكد ان القديس كيرلس قد استخدم هذه العبارة ضد نسطور والذى اى نسطور كان يؤكد على واقعية تمايز الطبيعتين بدون انفصال.ان اباء الكنيسة يفسرون هذه العبارة على اساس انه فى المسيح قد اتحدت الطبيعتان بدون اختلاط ولا امتزاج ولااختلاط ولا تغيير.لكن اقنوم الطبيعتين الالهية والانسانية هو اللوغوس اى انه استخدمها ليقاوم الفصل بين الطبيعتين ولهذا فبعد الاتحاد لا يمكن ان تكون الطبائع اقانيم منفصلة .لأن الطبيعة البشرية لم تكن بدون اقنوم بعد الاتحاد.لهذا فالطبيعتان بعد الاتحاد لا توجدان منفصلتان لان اقنومهم الواحد هو الكلمة وبهذا المعنى تم الكلام عن طبيعتين فى الفكر فقط . الفكر المونوفيزيتى اخذ هذه العبارة ليعنى بها انه بعد الاتحاد لا يمكن الحديث عن طبيعتين بشكل واقعى وأسأوا فهم كلمة (ثيؤريا) لانهما كونا طبيعة واحدة ولهذا فعبارة فى الذهن فقط تعنى ان الطبيعة البشرية ليس لها وجود بعد الاتحاد الا نظريا أى فى الثيؤريا فقط والثيؤريا عند الاباء تعنى الرؤية والبصيرة الروحية التى هى واقعية جدا ولا تشرح بالعقل فقط بل بالحدس الروحى المستنير ولا تعنى ابدا الكلمة الانجليزيةtheory.
الاباء فهموا اذن من هذه العبارة ان الطبيعتين لا يمكن ان يتمايزوا فيما بينهم بسبب الاتحاد الاقنومى ولا يوجد اقنومان بينما يرى المونوفيزيتيون ان هذه العبارة تعنى انه لا وجود ولا كيان للطبيعة البشرية بعد الاتحاد.
3 –الطبيعة المركبة والاقنوم المركب
Σύνθετος φύσις ,σύνθετος ύπόστασις
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الامر الثالث الذى يتعلق بالخلاف بين الارثوذكس والمونوفيزيتيين هى العبارات (طبيعة مركبة )و(أقنوم مركب ). حسب تفسير الاباء نستطيع ان نتكلم عن انه فى المسيح يوجد (اقنوم مركب)اى ان اقنوم الالكلمة هو اقنوم الطبيعتين اى الالهية والانسانية هذا معناه الحفاظ على خصائص الطبيعتينΙδιώματα وان الطبيعتين يعملان ένεργούνمن داخل الاقنوم الواحد للكلمة .
لا يقبل المونوفيزيتيون عبارة الاقنوم المركب ويتكلمون عن طبيعة مركبة اى انه من اتحاد الطبيعتين نتجت طبيعة واحدة , لا يمكن ان يقبل الارثوذكس هذا الكلام لانه حسب الاباء والقديس الدمشقى فان عبارة الطبيعة المركبة تعنى ان الطبيعتين تفقدان خواصهم لان الطبيعتين فى اتحادهم يشكلون بهذا الشكل طبيعة ثالثة وهكذا لا يكون المسيح مساويا للاب فى الجوهر اللاهوتى ولا مساوى للام العذراء أى للبشرية فى الجوهر الناسوتى
¨οποτε ό Χριστός δέν θά ήταν ούτε όμοούσιος μέ τόν Πατέρα ,ούτε όμοούσιος μέ τήν Μητέρα
ونقدم مثال اتحاد عنصرين من الطبيعة مثل الماء والزيت ويصير منها طبيعة جديدة ثالثة ولهذا فلا يمكن ان تتكون طبيعة واحدة من طبيتعين .
4 –من طبيعتين او فى فى طبيعتين
Εκ δύο φύσεων ,.εν δύο φύσεσιν
الفارق الرابع بين الارثوذكسي والمونوفيزيتيين فى قضية الخرستولوجيا هى العبارتين (من طبيعتين) او (فى طبيعتين).لقد اكد اباء الكنيسة بالاجماع على انه فى المسيح يوجد طبيعتان اتحدتا فى شخص الكلمة وان الاتحادقد تم من طبيعتين ولكن المسيح فى نفس الوقت يعمل فى طبيعتين وذلك لان كل طبيعة وخواصها لا تلغى بعد الاتحاد وان كل طبيعة تعمل فى اتحاد فى اقنوم الكلمة وفى شركة .لا يقبل المونوفيزيتيون هذا التعليم الارثوذكسى ويصرون على ان الطبيعتين اتحدتا فى المسيح فى طبيعة واحدة. هذا الكلام يغير تماما العقيدة الخرستولوجية ويرى بعض المونوفيزيتين بانه بالرغم من القول بطبيعة واحدة لا يلغون الطبيعة البشرية وهذا غير مقبول لانه يقود الى النسطورية وهذا يودى الى عدم نجاح الحوار ولا نستطيع الكلام عن اتفاق بين الارثوذكس والمونوفيزيتيين فى الحوار اللاهوتى . يجب ملاحظة ان الأمر يرتبط بحرف جر قد يظن البعض أنه لا قيمة له فى اللاهوت ولكننا نقول ان الأمر خطير جدا ولدينا دلائل من تاريخ الكنيسة على أن الهراطقة قد استخدموا اللعب بحروف الجر لكى يغيروا عقائد الارثوذكسية مثلما حدث مع القديس باسيليوس ومحاربى لاهوت الروح القدس من الأفنوميين.
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